सोमवार, 16 अप्रैल 2012

और राज करेगी खल्क ए खुदा

दरबारे वतन में जब इक दिन सब जाने वाले जायेंगे
कुछ अपनी सजा को पहुंचेंगे, कुछ अपनी जजा ले जायेंगे.
ऐ जुल्‍म के मारो, लब खोलो, चुप रहने वालों चुप कब तक
कुछ हश्र तो इनसेउट्ठेगा, कुछ दूरतो नाले जायेंगे.
ऐ खाकनशीनो, उठ बैठो, यह वक्‍त करीब आ पहुंचा है
... जब तख्‍त गिराये जायेंगे, जब ताज उछाले जायेंगे.
अब टूट गिरेंगीं जंजीरें, जब जिन्‍दानों की खैर नहीं,
जो दरिया झूम के उट्ठे हैं, तिनकों से न टालेजायेंगे.
कटते भी चलो, बढते भी चलो, बाजू भी बहुत हैंसर भी बहुत
चलते ही चलो, कि अब डेरे मंजिल पेही डाले जायेंगे.
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फैज अहमद फैज-